Diya Jethwani

लाइब्रेरी में जोड़ें

लेखनी कहानी -17-Oct-2022... असूचंड पर्व...

असुचंड पर्व.... 

सिंधी समाज के द्वारा मनाया जाने वाला एक खास त्यौहार हैं असुचंड...। 
यह त्यौहार फाल्गुन शुक्ला चतुर्दशी को मनाया जाता हैं...। कहा जाता हैं की यह त्यौहार सिंधी समाज के इष्टदेव भगवान श्री झूलेलाल जी के अंतर्धान होने पर मनाया जाता हैं...। 
इस दिन पूरे भारतवर्ष में सिंधी समाज के लोग जगह जगह मेले का आयोजन करते हैं... । 
मेले में भगवान झूलेलाल जी की तरह तरह की झांकियां सजाई जाती हैं..। 
कहीं बर्फ़ से बने झूलेलाल की झांकी होतीं हैं तो कहीं फूलों से सजे झूलेलाल जी की...। 
मेले में तरह तरह के खेल और झूलों के अलावा खानपान की भी व्यवस्था होतीं हैं...। नाश्ते में सिंधी भुने हुवे छोले और मीठे चावल मिलते हैं...। कार्यक्रम की शुरुआत झूलेलाल जी की प्रार्थना से होती हैं...। उसके बाद सभी को प्रसाद में उपरोक्त नाश्ता दिया जाता हैं...। साथ में मिल्क रोज भी दिया जाता हैं...। 
हम जहाँ रहते थे वहाँ यह त्यौहार तीन दिन तक मनाया जाता था..। पूरा सिंधी समाज इस दिन घर में चूल्हा ही नहीं जलाता था...। दोनों समय के खाने से लेकर सुबह की चाय भी हमें समाज द्वारा दी जाती थीं..। खाने में सिंधी व्यंजनों को ही प्राथमिकता दी जाती थीं...। मेले में रंगारंग कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता था..। हमारे सिंधी समाज के मशहूर कामेडियन परमानंद प्यासी के कार्यक्रम तो हम बचपन से मेले में देखते आए थे...। 
हर साल उनका कार्यक्रम अवश्य होता था..। 
लेकिन धीरे धीरे समय की व्यवस्ता के कारण यह त्यौहार बहुत शहरों से विलुप्त सा होता जा रहा हैं..। आने वाली पीढ़ी का रुझान मेले और रंगारंग कार्यक्रम से ऊब चुका हैं... जिसकी वजह से ऐसे त्यौहार अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं...। जो एक गंभीर और चिंता का विषय हैं सिंधी समाज के लिए...। 
समाज के प्रति स्थित लोगों को इस तरफ ध्यान देना चाहिए... वरना ऐसे त्यौहार सिर्फ इतिहास के पन्नों में दफन होकर रह जाएंगे...। 

जय झूलेलाल...। 

   9
3 Comments

Rafael Swann

17-Nov-2022 12:58 PM

Behtreen 🙏

Reply

Gunjan Kamal

17-Nov-2022 12:02 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

Reply

बेहतरीन 👌🌸

Reply